आज हम एक बहोत ही motivational कहानी देखने वाले है. ये कहानी छत्रपती शिवाजी महाराज के दौर की है.
छत्रपती शिवाजी महाराज को कोंढाणा किला जितना था. उस वक्त कोंढाणा किला मुघलोंके पास था. तानाजी मालुसरे ने सूर्याजी मालुसरे और शेलार मामा के साथ कुछ सिपाई लेकर कोंढाणा पर हमला करने चले गये.
तानाजी मालुसरे और उनके सिपाई रात को कोंढाणा के एक तरफ के खाई से रस्सी के मदत से किला चढने लगे. सब सिपाई किले पर चढने के बाद वहा बहोत भयंकर युध्द शुरू हुआ.
युध्द मे दोनो तरफ के लोग मारे जाते है. इसी युध्द मे तानाजी मालुसरे की भी death हो जाती है. तानाजी मालुसरे के death के बाद मराठों के फौज मे अफरा तफरी मच जाती है. वो भागने लगती है तभी उनके सामने सूर्याजी आते है और बोलते है, “तुम्हारा बाप यहाँ पर गीर गया है और तुम कायरो की भाग रहे हो.”
और उसने उस रस्सी को ही काट डाला जहाँ से पुरी फौज चढकर आई थी. और बोले “या तो इस खाई मे कुदके अपनी जान दे दो या दुश्मन पर तुट पडो.” फौज मे फिरसे जान आ गयी और वो मुघलौं पर टुट पडे. और अंत मे जीत गये.
दोस्तो यहा सिखने लायक बात ये है जब आप किसी भी एक filed को अपना career चुनते हो तो चुनने से पहले बहोत बार सोचो. एक बार सोच लिया तो पुरे Focus के साथ काम करो. पीछे हटणे के सारे दरवाजे बंद कर दो सारी रस्सी काट दो. सिर्फ एक पर ही Focus किया तो जितना निश्चित है.
ये कहानी आपको कैसी लगी comment करके जरूर बताना. और इसे ज्यादा से ज्यादा share करना
Thank you.
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