Wednesday, January 13, 2021

कोंढाणा की कहानी

 आज हम एक बहोत ही motivational कहानी देखने वाले है. ये कहानी छत्रपती शिवाजी महाराज के दौर की है. 


छत्रपती शिवाजी महाराज को कोंढाणा किला जितना था. उस वक्त कोंढाणा किला मुघलोंके पास था. तानाजी मालुसरे ने सूर्याजी मालुसरे और शेलार मामा के साथ कुछ सिपाई लेकर कोंढाणा पर हमला करने चले गये. 



तानाजी मालुसरे और उनके सिपाई रात को कोंढाणा के एक तरफ के खाई से रस्सी के मदत से किला चढने लगे. सब सिपाई किले पर चढने के बाद वहा बहोत भयंकर युध्द शुरू हुआ. 


युध्द मे दोनो तरफ के लोग मारे जाते है. इसी युध्द मे तानाजी मालुसरे की भी death हो जाती है. तानाजी मालुसरे के death के बाद मराठों के फौज मे अफरा तफरी मच जाती है. वो भागने लगती है तभी उनके सामने सूर्याजी आते है और बोलते है, “तुम्हारा बाप यहाँ पर गीर गया है और तुम कायरो की भाग रहे हो.”


और उसने उस रस्सी को ही काट डाला जहाँ से पुरी फौज चढकर आई थी. और बोले “या तो इस खाई मे कुदके अपनी जान दे दो या दुश्मन पर तुट पडो.” फौज मे फिरसे जान आ गयी और वो मुघलौं पर टुट पडे. और अंत मे जीत गये. 


दोस्तो यहा सिखने लायक बात ये है जब आप किसी भी एक filed को अपना career चुनते हो तो चुनने से पहले बहोत बार सोचो. एक बार सोच लिया तो पुरे Focus के साथ काम करो. पीछे हटणे के सारे दरवाजे बंद कर दो सारी रस्सी काट दो. सिर्फ एक पर ही Focus किया तो जितना निश्चित है. 


ये कहानी आपको कैसी लगी comment करके जरूर बताना. और इसे ज्यादा से ज्यादा share करना 

Thank you. 

Thursday, January 7, 2021

Sri Lanka cricketer

 आज हम एक ऐसे व्यक्ती के बारेमें जानने वाले है जिसने सिर्फ Practice के दम पर अपना career बना दिया. इस story को सुनने के बाद आपको भी practice की Importantance समझ आ जाएगी. 


श्रीलंका का एक खिलाड़ी था, उसके दिमाग में बस एक ही चीज चलती थी…. क्रिकेट क्रिकेट और बस क्रिकेट… अपनी कड़ी मेहनत और लगन के दम पर उसे श्रीलंका की टेस्ट टीम में डेब्यू करने का मौका मिला…. और पहली इन्निंग्स मे जीरो पे आउट दूसरी इन्निंग्स जीरो पे आउट... तब उसे टीम से निकाल दिया गया…. तब उस व्यक्ती ने जमकर practice किया और फर्स्ट क्लास मैचेज में लगातार अच्छा प्रदर्शन किया और 21 महीने बाद फिर से उसे मौका मिला। 




पहली इन्निंग्स…… जीरो पे आउट दूसरी इन्निंग्स……. 1 रन पे आउट… इस खराब प्रदर्शन ने वो एक बार फिर टीम से बाहर हो गया. उसने फिरसे अपना पुरा focus प्रैक्टिस…. पर लगा दिया और उसने फर्स्ट क्लास मैचेज में हजारों रन बना डाले और 17 महीने बाद एक बार फिर से मौका मिला…. पहली इन्निंग्स…… जीरो पे आउट दूसरी इन्निंग्स……. जीरो पे आउट... और फिर टीम से निकाल दिया गया…. इसबार उसने बडी कडी मेहनत की और प्रॅक्टिस की और तीन साल बाद एक बार फिर उस खिलाड़ी को मौका दिया गया…..जिसका नाम था मर्वन अट्टापट्टू इस बार अट्टापट्टू नहीं चूका उसने जम कर खेला और…. श्रीलंका की और से 16 शतक और 6 दोहरे शतक जड़ डाले और श्रीलंका का one of the most successful कप्तान बना! 


सोचिये जिस इंसान को अपना दूसरा रन बनाने में 6 साल लग गए अगर वो इतना बड़ा कारनामा कर सकता है तो दुनिया का कोई भी आदमी कुछ भी कर सकता है! और कुछ कर गुजरने के लिए डंटे रहना पड़ता है…लगे रहना पड़ता है… मैदान छोड़ देना आसान होता है… मुश्किल होता है टिके रहना…और जो टिका रहता है वो आज नहीं तो कल ज़रूर सफल होता है।इसलिए आपने जो कुछ भी पाने का निश्चय किया है उसे पाने की अपनी जिद मत छोडिये… मन से किये छोटे प्रयास हमेशा बड़ा परिणाम देते है।